फेमटोसेकंड लेजर तकनीक की सहायता से मोतियाबिंद की सटीक सर्जरी




वर्तमान समय में, चिकित्सा में फेमटो सेकंड लेजर (Femtosecond Laser) एक महत्वपूर्ण तकनीक है, जिसका उपयोग मोतियाबिंद (Cataract) सर्जरी में किया जाता है। यह नेत्र विज्ञान का विशेष रूप माना जाता है।  यह बहुत उच्च-गति वाली लेजर तकनीक है, जो प्रति सेकंड एक क्वाड्रिलियन (10¹⁵) सेकंड के समय अंतराल में कार्य करने की क्षमता रखती  है। फेमटो सेकंड लेजर का उपयोग आंखो के सर्जन को अनुकूल चीरा बनाने में मदद करता है। इस लेख में, हम फेमटोसेकंड लेजर तकनीक की सहायता से मोतियाबिंद की सटीक सर्जरी तथा इसके फायदे और सीमाओं के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।


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1. फेमटोसेकंड लेजर क्या है?


फेमटोसेकंड एक अत्यंत तीव्र चलने वाला लेजर तकनीक है ,जो नियर-इन्फ्रारेड (Near Infrared) वेवलेंथ (wave length) पर काम करता है। इसका उपयोग अल्ट्राशॉर्ट पल्स लेजर के रूप में किया जाता है, जिसका मतलब यह  है कि यह बहुत कम समय में अधिक ऊर्जा उत्पन्न करता है और ऊतकों (Tissues) को अधिक गर्म किए बिना काटने या अलग करने की क्षमता रखता है।

 फेमटोसेकंड लेजर तकनीक का उपयोग कार्निया (Cornea) और लेंस (Lens) की संरचनाओं में सूक्ष्म चीरे (Incisions) बनाने के लिए किया जाता है जिससे पारंपरिक सर्जरी की तुलना में अधिक  सुरक्षा मिलती है।


2. फेमटोसेकंड लेजर तकनीक की सहायता से मोतियाबिंद की सटीक सर्जरी कैसे होती है?


फेमटोसेकंड लेजर तकनीक मोतियाबिंद सर्जरी (Phacoemulsification) को अधिक सटीक, सुरक्षित और कुशल बनाती है। इसमें निम्नलिखित प्रकार के कार्य शामिल होते हैं जो इस प्रकार है—


(1) कार्निया में सटीक चीरा लगाना (Precise Corneal Incision)


पारंपरिक तकनीक में सर्जन ब्लेड का उपयोग करके आंख के कॉर्निया में चीरा लगाते हैं, लेकिन फेमटोसेकंड लेजर बिना ब्लेड के अत्यधिक सूक्ष्म और सटीक चीरे बनाता है, जो काफी सुरक्षित होता है।

इससे सर्जरी के बाद संक्रमण (Infection) और सूजन (Inflammation) की संभावना बहुत कम होती है।


(2) लेंस कैप्सूल को खोलना (Capsulorhexis)


मोतियाबिंद की सर्जरी में आंख के प्राकृतिक लेंस को हटाने के लिए लेंस कैप्सूल को खोलना बहुत जरूरी होता है।

फेमटोसेकंड लेजर से यह प्रक्रिया सटीक रूप से नियंत्रित की जाती है, जिससे सर्जरी का सफल परिणाम बढ़ता है।


(3) मोतियाबिंद लेंस को छोटे टुकड़ों में विभाजित करना (Lens Fragmentation)


आधुनिक समय में,फेमटोसेकंड लेजर तकनीक लेंस को पहले ही छोटे टुकड़ों में विभाजित कर देती है, जिससे अल्ट्रासोनिक ऊर्जा की आवश्यकता कम हो जाती है और ऊतक को नुकसान नहीं पहुंचता। यह एक सुरक्षित प्रकिया है।

पारंपरिक सर्जरी में लेंस को अल्ट्रासोनिक वेव्स (altra waves)से टुकड़ों में तोड़ा जाता है, जिससे कभी-कभी अधिक गर्मी उत्पन्न होती है और ऊतक प्रभावित होते हैं।


(4) कृत्रिम लेंस प्रत्यारोपण (IOL Implantation) को सरल कैसे बनाया जाता है?


फेमटोसेकंड लेजर द्वारा तैयार किए गए सटीक चीरे और लेंस कैप्सुलर ओपनिंग के कारण कृत्रिम लेंस (Intraocular Lens – IOL) को बेहतर ढंग से प्रत्यारोपित किया जा सकता है, जिससे दृष्टि की गुणवत्ता में बहुत सुधार होता है।


3. फेमटोसेकंड लेजर सर्जरी के फायदे क्या हैं?


फेमटोसेकंड लेजर तकनीक से मोतियाबिंद सर्जरी करने के कई प्रकार के लाभ होते हैं जैसे -

ज्यादा सटीकता (Higher Precision): पारंपरिक विधियों की तुलना में 1000 गुना अधिक सटीक तरीके से सर्जरी संपन्न होती है।

कम जोखिम (Lower Risk): संक्रमण और जटिलताओं की संभावना बहुत कम होती है।

तेजी से रिकवरी (Faster Recovery): कम ऊतक क्षति के कारण जल्दी ठीक होने की संभावना होती है।

कम दर्द (Less Discomfort): अधिक आरामदायक और कम दर्दनाक प्रक्रिया होती है।

बेहतर दृष्टि परिणाम (Improved Visual Outcomes): कृत्रिम लेंस को बेहतर तरीके से फिट करने में बहुत मदद होता है।



4. फेमटोसेकंड लेजर सर्जरी की सीमाएं क्या-क्या हैं?


हालांकि यह तकनीक बहुत उन्नतिशील है, लेकिन इसमें कुछ चुनौतियाँ भी हैं जैसे -


महंगी प्रक्रिया (High Cost): पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी की तुलना में अधिक महंगी होती है।

❌ हर मरीज के लिए उपयुक्त नहीं (Not Suitable for All): बहुत अधिक विकसित मोतियाबिंद (Mature Cataract) के मामलों में सीमित उपयोग होता है।

विशेषज्ञता की आवश्यकता (Requires Expertise): इस तकनीक को संचालित करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित सर्जनों की आवश्यकता होती है। जो सटीक तरीके से सर्जरी कर सकें।


5. निष्कर्ष


फेमटोसेकंड लेजर एक आधुनिक तकनीक है, जो मोतियाबिंद सर्जरी को सुरक्षित तरीके से करती है। यह पारंपरिक विधियों की तुलना में बहुत बेहतर दृष्टि परिणाम, तेज़ रिकवरी और कम जटिलताओं की गारंटी देती है। हालांकि, इसकी उच्च लागत और सीमाओं को ध्यान में रखते हुए, यह अभी तक हर मरीज के लिए सुलभ नहीं है।

यदि आप मोतियाबिंद सर्जरी करवाने की योजना बना रहे हैं, तो अपने नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें और पता करें कि क्या फेमटोसेकंड लेजर आपके लिए सही विकल्प है। आधुनिक चिकित्सा की यह क्रांति निकट भविष्य में और भी अधिक उन्नत और किफायती हो सकती है, जिससे अधिक लोग इसका लाभ उठा सकेंगे।


फेमटोसेकंड लेजर तकनीक से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न 


प्रश्न 1.फेमटोसेकंड लेजर तकनीक का उपयोग कहां किया जाता है?


उत्तर:- फेमटोसेकंड लेजर तकनीक का उपयोग मोतियाबिंद सर्जरी में किया जाता है।
फेमटोसेकंड लेजर तकनीक मोतियाबिंद सर्जरी (Phacoemulsification) को अधिक सटीक, सुरक्षित और कुशल बनाती है ।


प्रश्न 2. यह पारंपरिक लेजर तकनीक से कैसे अलग है?


उत्तर:- फेमटोसेकंड लेजर बिना ब्लेड के अत्यधिक सूक्ष्म और सटीक चीरे बनाता है, जो काफी सुरक्षित होता है।
इससे सर्जरी के बाद संक्रमण (Infection) और सूजन (Inflammation) की संभावना बहुत कम होती है।
पारंपरिक तकनीक में सर्जन ब्लेड का उपयोग करके आंख के कॉर्निया में चीरा लगाते हैं
इससे सर्जरी के बाद संक्रमण (Infection) और सूजन (Inflammation) की संभावना  होती है।


प्रश्न 3. क्या फेमटोसेकंड लेजर से LASIK सर्जरी दर्दनाक होती है?


उत्तर:- नहीं, यह एक दर्द रहित प्रक्रिया होती है। मरीज को केवल हल्का दबाव महसूस हो सकता है, लेकिन कोई दर्द नहीं होता।

प्रश्न 4. SMILE और LASIK में क्या अंतर है?


उत्तर:-
 LASIK: इसमें एक कॉर्नियल फ्लैप (corneal flap) बनाया जाता है और एक्साइमर लेजर का उपयोग किया जाता है।

SMILE: यह फेमटोसेकंड लेजर का उपयोग करके कॉर्निया के अंदर एक लेंटिक्यूल (छोटा ऊतक टुकड़ा) निकालता है, जिससे दृष्टि सुधरती है। इसमें फ्लैप नहीं बनता, जिससे यह अधिक सुरक्षित और कम जटिल होती है।


प्रश्न 5. क्या यह तकनीक पूरी तरह से सुरक्षित है?


उत्तर:- हाँ, यह अत्यधिक सटीक और सुरक्षित तकनीक मानी जाती है, और इसमें जटिलताओं की संभावना बहुत कम पायी जाती है।
    
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