रक्त कणिकाएं कितने प्रकार की होती है हिंदी में।

 


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रक्त क्या है ?


रक्त का हमारे शरीर में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।  यह हमारे शरीर में रुधिर कणिका के रूप में पाया जाता है।रुधिर का लगभग 40-45%भाग रुधिर कणिकाएं होतीं हैं। इस लेख में हम रक्त क्या है, यह कितने प्रकार का होता है तथा इसके कार्य के बारे में विस्तार से जानेंगे।


रक्त कितने प्रकार का होता है?


यह मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं -

1.लाल रुधिर कणिकाएं ( Red Blood Corpuscles )

2.श्वेत रुधिर कणिकाएं ( White Blood Corpuscles )


1.लाल रुधिर कणिकाएं ( Red Blood Corpuscles )

 इसे इरिथ्रोसाइट्स भी कहते हैं। यह रुधिर में उपस्थित कोशिकाओं का लगभग 99% होता है। मानव में, यह स्त्रियों में 50 लाख तथा पुरुषों में 55 लाख प्रति क्यूबिक मिली रुधिर होती है।नवजात दिन की सख्या और भी अधिक होती है। मानव में इनका व्यास औसतन 8.0 म्यू तथा मोटाई 2 म्यू होती है। इनका जीवन काल 127 दिन होता है।
प्रत्येक लाल रुधिर कणिका प्लाज्मा (plasma membrane) कल द्वारा अवतरित होती है। इसमें स्ट्रोमैटिन नामक संरचनात्मक प्रोटीन का जाल फैला होता है। स्ट्रोमैटिन के इस जाल में रंगायुक्त हीमोग्लोबिन नमक ग्लोब्यूलर प्रोटीन के करोड़ों अणु व्यवस्थित रहते हैं यह कणिका का लगभग 90% भाग बनाते हैं। इन कणिकाओं में किसी भी प्रकार के कोशिकांग नहीं होते तथा यह केंद्रक विहीन होते हैं।
इनके अतिरिक्त लाल रुधिर कणिकाओं में एंजाइम्स, विटामिन प्रतिजन या एटीजन तथा कुछ लवण भी पाए जाते हैं।
लाल रुधिर कणिकाओं का लाल रंग हीमोग्लोबिन के हीम ( haem) नामक रंगा( pigment )पदार्थ के कारण होता है। 

2.श्वेत रुधिर कणिकाएं ( White Blood Corpuscles )

इसे ल्यूकोसाइट्स कहते हैं। यह हीमोग्लोबिन रहित, अपेक्षाकृत बड़े आकार की, श्वेत एवं केंद्रक युक्त कोशिकाएं होती हैं। यह अमीबा के समान अनिश्चित आकृति की तथा प्रमुखत: दो प्रकार की होती है-


(1). कणिकामय में श्वेत रुधिर कणिकाएं अथवा ग्रेन्यूलोसाइट्स (granulocytes)


ग्रेन्यूलोसाइट्स गोलाकार होती है तथा इसमें 2-5 पालियुक्त केंद्रक पाया जाता है।
यह मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं -

 
ये इओसीन से रंगे होते हैं। इनका केन्द्रक द्विपालित होता है। मनुष्य में इनकी संख्या कल श्वेत रुधिर कणिकाओं की 2-4% तक होती है। इओसिनोफिल्स शरीर के प्रतिरक्षण (immunity), एलर्जी (allergy) तथा अतिसंवेदनशीलता (hypersensitivity) में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं।

(b). बेसोफिल्स (basophils)-

इन कोशिकाओं का केंद्रक S के आकार का होता है। मनुष्य के शरीर में इनकी संख्या श्वेत रुधिर कणिकाओं की 0.5 से 2% होती है।

(c) न्यूट्रॉफिल्स व हेटेरोफिल्स (neutrophiles or heterophiles)

इन गोलाकार कोशिकाओं का केंद्रक 2 से 5 पलित होता है। इनकी कणिकाएं संख्या में अधिक तथा आकर में छोटी होती हैं । मनुष्य की श्वेत रुधिर कणिकाओं में इनकी संख्या प्राय 60-70% तक होती है। इनका मुख्य कार्य फैगोसाइटोसिस (phagocytosis) अर्थात जीवाणुओं व अन्य बाह्य पदार्थों का भक्षण करना है। 

2.अकणिकामय श्वेत रुधिर कणिकाएं अथवा एग्रेन्यूलोसाइट्स (agranulocytosis)


इनके कोशिका द्रव्य मैं कणिकाओं का अभाव होता है तथा केंद्रक पलियुक्त नहीं होता। यह दो प्रकार की होती है
लिंफोसाइट्स इनमें कोशिकादव्य कम तथा केंद्रक गोलाकार और बड़ा होता है यह मनुष्य की श्वेत रुधिर कणिकाओं की कल संख्या का 20 - 30% भाग बनती है यह शरीर में प्रतिरक्षण का कार्य करती है मोनोसाइट्स यह कोशिकाएं बड़े आकर की तथा श्वेत रुधिर कणिकाओं का लगभग 4 -10% होती है इनका केंद्रक बड़ा तथा एक ओर से कटा होता है इनका मुख्य कार्य फैगोसाइटोसिस है।


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